कैसे बताऊँ मैं तुम्हें……

कैसे बताऊँ मैं तुम्हें….
मेरे लिये तुम कौन हो……
कैसे बताऊँ !!!
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें
तुम धड्कनॊं का गीत हो,
जीवन का संगीत हो!
तुम जिन्दगी, तुम बन्दगी !
तुम रोशनी, तुम ताजगी!
तुम हर खुशी, तुम प्यार हो !
तुम प्रीत हो, मनमीत हो !
आँखों में तुम, यादों में तुम !
साँसों में तुम, आहों में तुम !
नींदों में तुम, ख्वाबों में तुम !
तुम हो मेरी हर बात में…
तुम हो मेरे दिन रात में !
तुम सुबह में तुम शाम में !
तुम सोच में तुम काम में !
मेरे लिये पाना भी तुम !
मेरे लिये खोना भी तुम !
मेरे लिये हँसना भी तुम !
मेरे लिये रोना भी तुम !……… और जागना सोना भी तुम !!!
जाऊँ कहीं देखूँ कहीं…
तुम हो वहाँ…तुम हो वहीं !
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें…….. तुम बिन तो मैं कुछ भी नहीं !!!
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें….मेरे लिये तुम कौन हो !!!
ये जो तुम्हारा रूप है…ये जिन्दगी की धूप है !
चन्दन से तरसा है ये बदन …बहती है ईसमें एक अगन !
ये शोखियाँ ये मस्तियाँ …. तुमको हवाओं से मिली !
जुल्फ़ें घटाओं से मिली !
होठों में कलियाँ खिल गयीं….. आखों को झीलें मिल गयीं !
चेहरे में सिमटी चाँदनी….. आवाज में है रागिनी !
शीशे के जैसा अंग है…फ़ूलों के जैसा रंग है !
नदियों के जैसी चाल है… क्या हुस्न है ..क्या हाल है !!!
ये जिस्म की रंगीनियाँ…… जैसे हजारों तितलियाँ !
बाहों की ये गोलाईयाँ…. आँचल में ये परछाईयाँ !!!
ये नगरियाँ हैं ख्वाब की…..कैसे बताऊँ मैं तुम्हें..हालत दिल – ऎ – बेताब की !!!
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें….मेरे लिये तुम कौन हो !!!
कैसे बताऊँ….कैसे बताऊँ….
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें….मेरे लिये तुम धरम हो !!!
मेरे लिये ईमान हो !
तुम ही ईबादत हो मेरी…… तुम ही तो चाहत हो मेरी !
तुम ही अरमान हो मेरा !
तकता हूँ मैं हर पल जिसे.. वही तो तस्वीर हो तुम.
तुम ही मेरी तकदीर हो.
तुम ही सितारा हो मेरा…. तुम ही नजारा हो मेरा.
यूँ ध्यान में मेरे हो तुम..जैसे मुझे घेरे हो तुम.
पूरब में तुम, पश्चिम में तुम!!!….उत्तर में तुम, दक्षिण में तुम !!!
सारे मेरे जीवन में तुम.
हर पल में तुम…हर छिन में तुम !!!
मेरे लिये रस्ता भी तुम…. मेरे लिये मन्जिल भी तुम.
मेरे लिये सागर भी तुम..मेरे लिये साहिल भी तुम.
मैं देखता बस तुमको हूँ….मैं सोचता बस तुमको हूँ.
मैं जानता बस तुमको हूँ… मैं मानता बस तुमको हूँ.
तुम ही मेरी पहचान हो…!!!
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें…. देवी हो तुम मेरे लिये.
मेरे लिये भगवान हो !!!
कैसे बताऊँ मैं तुम्हें….मेरे लिये तुम कौन हो !!!
कैसे……….. ????

14 thoughts on “कैसे बताऊँ मैं तुम्हें……

  1. बहुत खूब रजनीश जी, सुंदर कविता है।

    थोडी फ़ोर्मेटिंग ठीक कर दीजिये, ताकि पढने वाले को आसानी रहे..

  2. इतने प्रश्नों के बाद भी आपको यह पता नहीं चला कि मैं कौन हूँ? चलिये थोड़ा और जोर डालिये दिमाग पर, कुछ और शब्द ढूंढिये मेरी पहचान के लिये 🙂

    रजनीश जी
    आपका हिन्दी चिट्ठा जगत में स्वागत है। कृपया नारद में अपना पंजीकरण करवा लेवें।

  3. Dear
    Maine Aap Ki Kavita Kaise Batau Ke Tum Meri Kya Lagti Ho Padhi Mujhe Bahut Achi Lagi
    Kya Bat Bahut khub hai

    Regards
    NOOR SHAIKH
    Aurangabad

  4. rajaneeshji, apki kavita padhi ……..gr8! jiske liye bhi likhi hai vo khush ho jayegi padhkar………al d best…………kp writing…bbywe

  5. आपकी रचना “॰॰॰॰कैसे बताऊं मैं तुम्हे॰॰॰॰॰” बहुत शसक्त अभिव्यक्ती है ॰॰॰॰॰ रजनीश जी शुभकामनायें

  6. ये जावेद अख्तर की कविता है…..वजूद फिल्म से

  7. This poem is of javed akhtar. Please note this all . This is from Vajood film and sung by nana patekar for madhuri.

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